रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव का समय करीब आ रहा है। इसके मद्दे-नज़र कांग्रेस के अंदर भी दावेदारी शुरू हो चुकी है। हटिया विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट की दावेदारी में कई नाम सामने आ रहे हैं। उनमें सबसे प्रबल दावेदारी विनय सिन्हा दीपू की बताई जाती है। कांग्रेस की राजनीति में उनका नाम जाना-पहचाना हुआ है। क्षेत्र की जनता के साथ उनके कई दशकों से जीवंत संबंध रहे हैं। लोगों के सुख-दुःख के हर मौके पर वे उपस्थित रहे हैं। कभी विवादों में नहीं पड़े। जन-समस्याओं के निदान के लिए लगातार प्रयासरत रहे। कार्यकर्ताओं को पार्टी से जोड़ने में इनका अहम योगदान रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम सहित कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के भी नजदीकी हैं। दिल्ली दरबार तक भी इनकी अच्छी पहुंच है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी उनकी उम्मीदवारी पर गंभीरता से विचार कर सकती है। उनका कहना है कि भाजपा लोगों की भावनाओं से खेल रही है। देश के वातावरण को विषाक्त कर रही है। इससे देश को भाजपा के कुशासन से मुक्ति दिलाना जरूरी है। यह काम कांग्रेस ही कर सकती है। उनका कहना है कि पार्टी ज़मीनी कार्यकर्ताओं को मौका दे, तो राजनीति को पटरी पर वापस लाया जा सकता है। यह संगठन के लिए हितकर होगा। उनका मानना है कि पिछड़ी चेतना को उभारकर स्वार्थ की रोटियां लंबे समय तक नहीं सेंकी जा सकतीं। जनता भेदभाव की राजनीति ज्यादा दिनों तक नहीं बर्दाश्त करेगी। कांग्रेस की वापसी से ही इस अंधे युग का अंत होगा।
विनय सिन्हा दीपू लंबे समय से राजनीति में सक्रिय रहे हैं और जनता के बीच लोकप्रियता हासिल कर चुके हैं। वे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के डेलिगेट हैं। उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा 1985-86 के दौरान युवा कांग्रेस की डोरंडा प्रखंड कमेटी के महासचिव के रूप में की थी। 1986 से 1989 तक वे रांची नगर युवा कांग्रेस के सचिव रहे। इसके बाद 1991 तक महासचिव के रूप में नगर कमेटी में जान फूंकी। इसके बाद प्रदेश कमेटी में कई जिम्मेवारियों का सफलता पूर्वक निर्वहन करते हुए 2016-17 के दौरान झारखंड राज्य कांग्रेस कमेटी के महासचिव बने।
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