रांची। घर की चौखट से निकलकर अपनी प्रतिभा को कामयाबी के शीर्ष तक पहुंचाने को प्रयासरत व्यक्तित्व का नाम है सरबनी भट्टाचार्य। विपरीत परिस्थितियों में भी बाधाओं को पार करते हुए अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर एक संघर्षशील शख्सियत हैं सरबनी भट्टाचार्य। उनकी शिक्षा-दीक्षा कोलकाता में हुई। उन्होंने स्नातक तक की शिक्षा प्राप्त की है। फिलवक्त एमबीए कर रही हैं। बचपन से ही पढ़ने- लिखने में अव्वल रही सरबनी यौवन की दहलीज पर कदम रखते ही अपना कैरियर संवारने में जुट गई। पत्रकारिता से उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत की। अपनी ईमानदारी और कर्त्तव्यनिष्ठा से उन्होंने अपनी बेहतर प्रबंधन कला प्रदर्शित कर विभिन्न क्षेत्रों में निपुणता हासिल की। वह अपना आदर्श अपने माता-पिता और गुरुजनों को मानती है। वह कर्म में विश्वास करती हैं। श्रीमती भट्टाचार्य को विभिन्न कंपनियों में निगमित सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत कॉरपोरेट कम्युनिकेशन का लगभग 19 वर्षों का अनुभव प्राप्त है। ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत पत्रकारिता से की। एक नेशनल न्यूज़ चैनल में उन्होंने नौकरी शुरू की। इस दौरान कला, संस्कृति, शिक्षा और फिल्म जगत से संबंधित खबरों को कवर करने लगी। इस क्रम में उन्हें प्रख्यात अभिनेता अमिताभ बच्चन और अभिनेत्री जया बच्चन सहित कई जानी-मानी फिल्मी हस्तियों का साक्षात्कार लेने का अवसर मिला। वह एक अंग्रेजी दैनिक में गुवाहाटी में कार्यरत रहीं।कोलकाता के एक लोकप्रिय अंग्रेजी दैनिक में भी वह स्तंभकार के रूप में जुड़ी रहीं। अपनी लेखन क्षमता से पत्रकारिता जगत में उन्होंने काफी लोकप्रियता हासिल की। तत्पश्चात श्रीमती भट्टाचार्य ने विज्ञापन और जनसंपर्क से संबंधित कॉरपोरेट अफेयर्स कंपनी से जुड़ीं। इसके बाद वह अंतरराष्ट्रीय स्तर की ख्यातिप्राप्त डायरेक्ट सेलिंग मार्केट में अग्रणी कंपनी एमवे से वर्ष 2008 में जुड़ गईं। वह एम्वे में पूर्वोत्तर क्षेत्र की सीएसआर मैनेजर के पद पर लगभग 11वर्षों तक सेवारत रहीं। इसके पूर्व श्रीमती भट्टाचार्य मीडिया,संचार, टेलीकॉम, एफएमसीजी, रियल स्टेट सहित कई क्षेत्रों में कोरपोरेटअफेयर्स के कार्यों को बखूबी निभाती रहीं। इस क्रम में उन्होंने विदेशों का भी दौरा किया। उन्हें कैलिफोर्निया लॉस एंजिल्स सहित यूएसए के कई देशों में भी जाने का अवसर प्राप्त हुआ। वह कहती हैं कि हमारे समाज में यह गलत धारणा है कि महिलाएं सिर्फ घर के कामकाज तक ही सीमित रहती हैं। इस मिथक को उन्होंने तोड़ा और अपने कार्यों और उपलब्धियों से उन्होंने यह साबित कर दिया कि महिलाएं आज किसी मामले में पुरुषों से कम नहीं है। पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। अपनी घर-गृहस्थी के कार्यों को बखूबी संभालते हुए और पारिवारिक जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हुए श्रीमती भट्टाचार्य अपने कार्यों के प्रति भी गंभीरता से लगी रहती हैं। फिलवक्त वह रियल इस्टेट के क्षेत्र में मशहूर कंपनी मर्लिंग ग्रुप में एजीएम (सीएसआर) के पद पर कार्यरत हैं। यहां भी अपनी प्रतिभा का परचम लहरा रही हैं। अपनी कुशल प्रबंधन क्षमता और प्रशासनिक सूझबूझ व दूरदर्शिता से वह अपने मिशन की ओर आगे बढ़ रही हैं। उनका मानना है कि महिलाओं को शिक्षित होना जरूरी है। महिलाओं की साक्षरता दर में वृद्धि स्वस्थ और स्वच्छ समाज के निर्माण काफी सहायक होता है। महिलाएं शिक्षित होंगी और रोजगार से जुड़ेंगी तो आत्मनिर्भरता आएगी। सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए महिला स्वावलंबन को वह आवश्यक मानती हैं। वह कहती हैं कि विपरीत परिस्थितियों में भी संघर्ष करते हुए ईमानदारीपूर्वक मेहनत से आगे बढ़ते रहना व्यक्ति की महानता का परिचायक होता है। उनका यह भी मानना है कि देश और समाज के विकास के लिए महिलाओं को सशक्त होना जरूरी है। महिला सशक्तिकरण की दिशा में सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर सामूहिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। यह वर्तमान समय की मांग भी है। सरबानी का सपना एक सफल लेखक बनने का है।चूंकि पत्रकारिता से उनका वास्ता रहा है। इस लिहाज से उनके अंदर का लेखक हिलोरें मारता रहता है।उनके पति भी एक जाने-माने पत्रकार हैं। सरबनी को आगे बढ़ने में उनके पति का भी सहयोग मिलता है। समय-समय पर वह अपने व्यस्ततम दिनचर्या के बावजूद अपनी लेखन क्षमता भी प्रदर्शित करती रहती हैं। वह कहती हैं कि मेरा सपना एक सफल लेखक बनने का है। इस दिशा में वह प्रयासरत हैं। वह अपना आदर्श व प्रेरणा स्रोत अपने पिता स्वर्गीय दीपक भट्टाचार्य और माता सुनीती भट्टाचार्य को मानती हैं। वह कहती हैं कि माता-पिता की प्रेरणा से ही वह जीवन में सफलता की सीढ़ियां चढ़ती जा रही हैं। इसमें उनके परिवारजनों का भी सहयोग मिल रहा है। सरबनी बताती हैं कि जीवन में कई झंझावातों को झेलते हुए वह इस मुकाम तक पहुंची हैं। वह अपनी मेहनत, ईमानदारी और लगन के बलबूते आगे बढ़ रही हैं। उनका मानना है कि दिल में लगन और कर्तव्यनिष्ठा का भाव हो, ईमानदारी से अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पित रहें, तो सफलता कदम चूमेगी। वह कहती हैं कि महिलाओं को आत्मविश्वास से लबरेज होते हुए अपने कर्तव्य पथ की ओर सदैव अग्रसर होते रहना चाहिए। वह सर्वधर्म- समभाव को अपने जीवन में आत्मसात कर सभी धर्मों का समान आदर करती हैं। अपनी दैनिक कार्यों की व्यस्तताओं के बीच समय निकालकर वह शहर की धार्मिक, सांस्कृतिक व सामाजिक गतिविधियों में भी शिरकत करती रहती हैं। वह जहां भी कार्यरत रहीं, अपनी बेहतरीन कार्यशैली का परिचय देती रही हैं। उनकी कार्यकुशलता और कार्यशैली अन्य महिलाओं के लिए अनुकरणीय ही नहीं, बल्कि प्रेरणास्रोत भी है। मृदुभाषी सरबनी कहती हैं कि सामाजिक सशक्तिकरण के लिए महिलाओं को आत्मनिर्भर होना जरूरी है। इससे हमारा देश व समाज मजबूत होगा।
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सोमवार, 26 अगस्त 2019
पत्रकारिता से प्रबंधन कौशल तक की मिसाल बनीं सरबनी भट्टाचार्य
रांची। घर की चौखट से निकलकर अपनी प्रतिभा को कामयाबी के शीर्ष तक पहुंचाने को प्रयासरत व्यक्तित्व का नाम है सरबनी भट्टाचार्य। विपरीत परिस्थितियों में भी बाधाओं को पार करते हुए अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर एक संघर्षशील शख्सियत हैं सरबनी भट्टाचार्य। उनकी शिक्षा-दीक्षा कोलकाता में हुई। उन्होंने स्नातक तक की शिक्षा प्राप्त की है। फिलवक्त एमबीए कर रही हैं। बचपन से ही पढ़ने- लिखने में अव्वल रही सरबनी यौवन की दहलीज पर कदम रखते ही अपना कैरियर संवारने में जुट गई। पत्रकारिता से उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत की। अपनी ईमानदारी और कर्त्तव्यनिष्ठा से उन्होंने अपनी बेहतर प्रबंधन कला प्रदर्शित कर विभिन्न क्षेत्रों में निपुणता हासिल की। वह अपना आदर्श अपने माता-पिता और गुरुजनों को मानती है। वह कर्म में विश्वास करती हैं। श्रीमती भट्टाचार्य को विभिन्न कंपनियों में निगमित सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत कॉरपोरेट कम्युनिकेशन का लगभग 19 वर्षों का अनुभव प्राप्त है। ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत पत्रकारिता से की। एक नेशनल न्यूज़ चैनल में उन्होंने नौकरी शुरू की। इस दौरान कला, संस्कृति, शिक्षा और फिल्म जगत से संबंधित खबरों को कवर करने लगी। इस क्रम में उन्हें प्रख्यात अभिनेता अमिताभ बच्चन और अभिनेत्री जया बच्चन सहित कई जानी-मानी फिल्मी हस्तियों का साक्षात्कार लेने का अवसर मिला। वह एक अंग्रेजी दैनिक में गुवाहाटी में कार्यरत रहीं।कोलकाता के एक लोकप्रिय अंग्रेजी दैनिक में भी वह स्तंभकार के रूप में जुड़ी रहीं। अपनी लेखन क्षमता से पत्रकारिता जगत में उन्होंने काफी लोकप्रियता हासिल की। तत्पश्चात श्रीमती भट्टाचार्य ने विज्ञापन और जनसंपर्क से संबंधित कॉरपोरेट अफेयर्स कंपनी से जुड़ीं। इसके बाद वह अंतरराष्ट्रीय स्तर की ख्यातिप्राप्त डायरेक्ट सेलिंग मार्केट में अग्रणी कंपनी एमवे से वर्ष 2008 में जुड़ गईं। वह एम्वे में पूर्वोत्तर क्षेत्र की सीएसआर मैनेजर के पद पर लगभग 11वर्षों तक सेवारत रहीं। इसके पूर्व श्रीमती भट्टाचार्य मीडिया,संचार, टेलीकॉम, एफएमसीजी, रियल स्टेट सहित कई क्षेत्रों में कोरपोरेटअफेयर्स के कार्यों को बखूबी निभाती रहीं। इस क्रम में उन्होंने विदेशों का भी दौरा किया। उन्हें कैलिफोर्निया लॉस एंजिल्स सहित यूएसए के कई देशों में भी जाने का अवसर प्राप्त हुआ। वह कहती हैं कि हमारे समाज में यह गलत धारणा है कि महिलाएं सिर्फ घर के कामकाज तक ही सीमित रहती हैं। इस मिथक को उन्होंने तोड़ा और अपने कार्यों और उपलब्धियों से उन्होंने यह साबित कर दिया कि महिलाएं आज किसी मामले में पुरुषों से कम नहीं है। पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। अपनी घर-गृहस्थी के कार्यों को बखूबी संभालते हुए और पारिवारिक जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हुए श्रीमती भट्टाचार्य अपने कार्यों के प्रति भी गंभीरता से लगी रहती हैं। फिलवक्त वह रियल इस्टेट के क्षेत्र में मशहूर कंपनी मर्लिंग ग्रुप में एजीएम (सीएसआर) के पद पर कार्यरत हैं। यहां भी अपनी प्रतिभा का परचम लहरा रही हैं। अपनी कुशल प्रबंधन क्षमता और प्रशासनिक सूझबूझ व दूरदर्शिता से वह अपने मिशन की ओर आगे बढ़ रही हैं। उनका मानना है कि महिलाओं को शिक्षित होना जरूरी है। महिलाओं की साक्षरता दर में वृद्धि स्वस्थ और स्वच्छ समाज के निर्माण काफी सहायक होता है। महिलाएं शिक्षित होंगी और रोजगार से जुड़ेंगी तो आत्मनिर्भरता आएगी। सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए महिला स्वावलंबन को वह आवश्यक मानती हैं। वह कहती हैं कि विपरीत परिस्थितियों में भी संघर्ष करते हुए ईमानदारीपूर्वक मेहनत से आगे बढ़ते रहना व्यक्ति की महानता का परिचायक होता है। उनका यह भी मानना है कि देश और समाज के विकास के लिए महिलाओं को सशक्त होना जरूरी है। महिला सशक्तिकरण की दिशा में सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर सामूहिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। यह वर्तमान समय की मांग भी है। सरबानी का सपना एक सफल लेखक बनने का है।चूंकि पत्रकारिता से उनका वास्ता रहा है। इस लिहाज से उनके अंदर का लेखक हिलोरें मारता रहता है।उनके पति भी एक जाने-माने पत्रकार हैं। सरबनी को आगे बढ़ने में उनके पति का भी सहयोग मिलता है। समय-समय पर वह अपने व्यस्ततम दिनचर्या के बावजूद अपनी लेखन क्षमता भी प्रदर्शित करती रहती हैं। वह कहती हैं कि मेरा सपना एक सफल लेखक बनने का है। इस दिशा में वह प्रयासरत हैं। वह अपना आदर्श व प्रेरणा स्रोत अपने पिता स्वर्गीय दीपक भट्टाचार्य और माता सुनीती भट्टाचार्य को मानती हैं। वह कहती हैं कि माता-पिता की प्रेरणा से ही वह जीवन में सफलता की सीढ़ियां चढ़ती जा रही हैं। इसमें उनके परिवारजनों का भी सहयोग मिल रहा है। सरबनी बताती हैं कि जीवन में कई झंझावातों को झेलते हुए वह इस मुकाम तक पहुंची हैं। वह अपनी मेहनत, ईमानदारी और लगन के बलबूते आगे बढ़ रही हैं। उनका मानना है कि दिल में लगन और कर्तव्यनिष्ठा का भाव हो, ईमानदारी से अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पित रहें, तो सफलता कदम चूमेगी। वह कहती हैं कि महिलाओं को आत्मविश्वास से लबरेज होते हुए अपने कर्तव्य पथ की ओर सदैव अग्रसर होते रहना चाहिए। वह सर्वधर्म- समभाव को अपने जीवन में आत्मसात कर सभी धर्मों का समान आदर करती हैं। अपनी दैनिक कार्यों की व्यस्तताओं के बीच समय निकालकर वह शहर की धार्मिक, सांस्कृतिक व सामाजिक गतिविधियों में भी शिरकत करती रहती हैं। वह जहां भी कार्यरत रहीं, अपनी बेहतरीन कार्यशैली का परिचय देती रही हैं। उनकी कार्यकुशलता और कार्यशैली अन्य महिलाओं के लिए अनुकरणीय ही नहीं, बल्कि प्रेरणास्रोत भी है। मृदुभाषी सरबनी कहती हैं कि सामाजिक सशक्तिकरण के लिए महिलाओं को आत्मनिर्भर होना जरूरी है। इससे हमारा देश व समाज मजबूत होगा।
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