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रविवार, 22 जुलाई 2018

सदन की गरिमा को तार-तार कर रहें हैं मुख्यमंत्री : बाबूलाल मरांडी



रांची। राज्य में विधानसभा व केन्द्र में लोकसभा लोकतंत्र का सर्वोच्च स्थान होता है। यहां जनता प्रतिनिधियों को चुनकर भेजती है। इस सदन की अपनी अलग मर्यादा है। सदन में जनप्रतिनिधियों का आचरण संयमित व मर्यादित होनी चाहिए। उक्त बातें पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कही। उन्होंने एक प्रेस बयान जारी कर कहा कि सदन के अंदर जनप्रतिधियों का आचरण किस अनुरूप हो, वह तमाम चीजें भी परिभाषित की गई हैं। ऐसा कभी प्रतीत नहीं होना चाहिए कि कोई जनप्रतिनिधि उदंडता कर सदन की गरिमा को तार-तार कर रहा है। सदन की गरिमा इन बातों से समझी जा सकती है कि आप सदन में जोर से ठहाका तक नहीं लगा सकते हैं, कविता पढ़ने, गाना गाने, माबाईल तक नहीं ले जाने की पाबंदी है, यानि आपको पूरी तरह सदन की कार्रवाही पर ही ध्यान केन्द्रित करनी होती है। झारखंड विधानसभा में पिछले सत्र से ही किसी नव-नवेले जनप्रतिनिधि का नहीं बल्कि सदन के नेता का जो तानाशाही व्यवहार दिख रहा है वह पूरी तरह अमर्यादित व लोकतंत्र की इस व्यवस्था के विपरीत है। सदन के नेता रघुवर दास ने झाविमो के विधायक प्रदीप यादव को सदन के अंदर जिस प्रकार धमकी दी व इशारों में कई बातें कही कि जेल में सड़ा देंगे, यह पूरी तरह अमर्यादित है। प्रदीप यादव सड़क से लेकर सदन तक जनमुद्दों को लेकर मुखर रहते हैं, सरकार की कमियों को उजागर करते रहते हैं, इसलिए उनसे मुख्यमंत्री चिढ़ें रहते हैं। परंतु एक मुख्यमंत्री किसी जनप्रतिनिधि से इस कदर चिढ़ने लगे कि वह सदन की मर्यादा ही तार-तार करने लगे , तब इसे स्वस्थ लोकतंत्र के लिए कतई शुभ संकेत नहीं माना जा सकता है। यह खिसयानी बिल्ली खंभा नोचें की कहावत को चरितार्थ करने जैसा है। इसके लिए मुख्यमंत्री को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए। साथ ही राज्यपाल  को भी इस पर संज्ञान लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम जनता को तमाम बातों से अवगत करायेंगे और जरूरत पड़ी तो इस मसले को लिखित रूप से राज्यपाल महोदया को भी अवगत करायेंगे।

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