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शुक्रवार, 9 अगस्त 2019

चक्रधरपुर में गरीबों के "निरुप"




चक्रधरपुर। कम ही लोग होते हैं जो अपने नाम के शाब्दिक अर्थ को हकीकत में भी सार्थक बनाते हैं. चक्रधरपुर में एक ऐसा ही नाम है निरुप प्रधान ...
"निरुप" अर्थात "भगवान्" ...

जी हाँ चक्रधरपुर का निरुप प्रधान आज हर उस गरीब शख्स के लिए सहारा है जो गरीबी से उबरकर एक बेहतर जिंदगी जीने की सोच रखता है. वह उस गरीब के लिए भगवान् है जो अपनी क़ाबलियत के बलबूते जीवन से संघर्ष कर शिखर तक पहुँचने का माद्दा रखता है. वह उस गरीब परिवार के लिए मददगार है जिसकी तमन्ना है की उसके परिवार का एक संतान सरकारी रोजगार प्राप्त कर पुरे परिवार को खुशहाल करे.

महज पांच साल में तक़रीबन 700 से अधिक युवाओं को फ्री कोचिंग देकर सरकारी नौकरी दिला चुके निरुप प्रधान ने चक्रधरपुर नगर परिषद् के कुद्लीबाड़ी और हरिजन बस्ती जैसे अति पिछड़े मोहल्ले के युवक युवतियों को मुफ्त में प्रतियोगिता परीक्षा के लिए तैयार करने का संकल्प लिया है. निरुप ने इसके लिए इन स्लम बस्तियों में जाकर गरीब प्रतिभावान युवाओं का चयन किया है.

दस लाख पॅकेज की नौकरी छोड़ने वाला रेलवे खलासी का बेटा निरुप प्रधान ने बताया की इन युवाओं को वे तबतक प्रतियोगिता परीक्षा की कोचिंग देते रहेंगे जबतक इन्हें कोई सरकारी नौकरी नहीं मिल जाती. निरुप का कहना है की एक गरीब परिवार का एक भी संतान अगर सरकारी नौकरी में जाता है तो पूरा परिवार गरीबी दंश से बच जाता है.

बता दें की चक्रधरपुर के खपरैल झोंपड़े में शिक्षा कोचिंग चलाने वाला निरुप प्रधान एनआईटी का छात्र रहा है. उसने प्रतिष्ठित संसथान में लाखों के पॅकेज की नौकरी बस इसलिए छोड़ दी क्योंकि निरुप ने गरीबों को गरीबी से उबारने का संकल्प लिया है. इस निरुप ने वाकई अपने नाम के साथ न्याय किया है. भगवान् धरती पर भले ही ना आ सकें लेकिन उपरवाले से गुजारिश होगी की ऐसे निरुप और भेजें.

1 टिप्पणी:

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