धीरे-धीरे खुल रहा है सच्चाई से पर्दा
रांची। झारखंड में मिश्नरियों के दिन बुरे चल रहे
हैं। खूंटी के कोचांग में गैंगरेप के मामले में फादर की संदिग्ध भूमिका के बाद अब
निर्मल ह्रदय की मदर्स पर मानव तस्करी का बड़ा रैकेट चलाने का आरोप लग रहा है।
उनपर जांच एजेंसियों का शिकंजा कसता जा रहा है। धीरे-धीरे सच से पर्दा उठ रहा है।
जांच के क्रम में रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। इतना तय है कि झारखंड में मदर
टेरेसा की मिशनरीज आफ चैरिटी द्वारा संचालित निर्मल ह्रदय संस्था के संचालकों का
ह्रदय निर्मल नहीं था। वे लंबे समय से पूरी निर्ममता के साथ संगठित रूप से नवजात
शिशुओं की खरीद-फरोख्त में लगे थे। तुष्टीकरण और मानव सेवा की आड़ का लाभ उटाते
हुए वे इतने शातिर हो चुके थे कि वर्ष 2015 में इस घंधे की जांच कर रहे बाल कल्याण
समिति के तत्कालीन अध्यक्ष ओमप्रकाश सिंह और सदस्य मो. अफजल को इन्होंने छेड़खानी
का आरोप लगाकर पद से हटवा दिया था और अपनी पसंदीदा महिला पदाधिकारी को प्रभार
दिलवा दिया था। अध्यक्ष और सचिव को इस नाजायज धंधे का संदेह हो गया था। वे डारंडा
स्थित शिशु भवन का निरीक्षण करने गए थे। उन्हें भवन में प्रवेश नहीं करने दिया गया
और जब वे जबरन अंदर जाने लगे तो उनपर छेड़खानी का आरोप लगाकर पद से बर्खास्त करा
दिया गया था।
![]() |
| कुछ तो रखी होती मदर की लाज |
मदर टेरेसा ने इस संस्था की स्थापना गर्भवती महिलाओं
की देखभाल और उन्हे सुरक्षित प्रसव की सुविधा प्रदान करने के लिए की थी। जाहिर है
कि यहां ज्यादातर ऐसी कुवांरी माताएं ही आती थीं जो किसी कारण समय पर गर्भपात नहीं
करा पाईं। लोकलाज के भय से वे स्वयं अपने बच्चे से छुटकारा पाना चाहती थीं। इस तरह
संचालिकाओं को विक्री के लिए सिशु आसानी से उपलब्ध हो जाते थे। जो महिलाएं अपने
शिशु को साथ ले जाना चाहती थीं उन्हें यह बता दिया जाता था कि उन्होंने मरे हुए
बच्चे को जन्म दिया है। संचालिकाएं गर्भवती महिलाओं के आने और उनके प्रसव की
रिपोर्ट बाल कल्याण समिति को देने की औपचारिकता का पालन करती थीं लेकिन आधी-अधूरी
रिपोर्ट देती थीं। वर्ष 2015 से 2018 के बीच संस्था में 450 गर्भवती महिलाएं भर्ती
हुई थीं। लेकिन उनमें से 170 की ही डिलीवरी रिपोर्ट समिति को दी गई। शेष 280 बच्चे
कहां गए इसका कोई लेखा-जोखा नहीं है। उन्हें निःसंतान दंपत्तियों को बेच देने का
संदेह है। जांच चल रही है। अभी तक जो तथ्य सामने आए हैं उससे पता चलता है कि
संस्था की मानव तस्की का जाल भारत के की राज्यों में फैला हुआ था। यही नहीं कुछ
सौदे विदेशों में भी किए जाने की बात सामने आ रही है। उनके पाप का घड़ा अब पूरी
तरह भर चुका है। यह इतना संवेदनशील मामला है कि मिशनरियों के क्रियाकलाप को जायज
ठहराने वाले राजनीतिक दल और समाजसेवी भी संस्था के बचाव में आगे आने में परहेज़ कर
रहे हैं। राज्य सरकार ने स मामले की गहन जांच कराने का एलान किया है। जांच के बाद
ही सच्चाई से पूरी तरह पर्दा उठेगा।


कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें