“पूर्ण रूप से जैविक और कार्बाइड मुक्त
·
रा
·
आम महोत्सव में विभिन्न
प्रकार के आम यथा दशहरी ,
आम्रपाली , लंगड़ा ,
मलिका , जरदालू
इत्यादि प्रदर्शित किए गए। इसके अलावा इस
महोत्सव में भिन्न –भिन्न प्रकार के मसाले,
शहद , लघु वन उपज और
जैविक उत्पाद (उदा. केचुआ खाद) इत्यादि की बिक्री की गयी।
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नाबार्ड के वाडी
कार्यक्रम के तहत सम्पूर्ण झारखंड यथा लोहरदगा कोडरमा,हजारीबाग,
दुमका, चतरा,
जामताड़ा, गुमला ,
राँची, खूंटी ,
गिरिडीह, बोकारो ,
पाकुड़, साहिबगंज
और देवघर से लाभार्थी आदिवासी किसानों ने इस महोत्सव ने भाग
लिया तथा अपने कृषि उत्पाद का प्रदर्शन किया ।
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कार्यक्रम को काफी
सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली हैं। भारी संख्या में लोगो ने इन जैविक पदार्थों को
खरीदने में रुचि दिखाई। लोकप्रिय आदिवासी उत्पाद यथा “मड़वा” और स्थानीय फल जैसे
“जामुन” की काफी मांग थी और इसकी बिक्री तुरंत हो गयी ।
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नाबार्ड के आम महोत्सव
में आदिवासी किसानों के उत्पादों की बिक्री काफी तेजी से हुई हैं,
उदाहरण
के लिए चतरा के किसानों ने मात्र एक घंटे
में 200 किलोग्राम आमों की बिक्री की और
महोत्सव के पहले दिन ही उनका स्टॉक समाप्त हो गया।
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श्री शरद झा ,मुख्य
महा प्रबन्धक, नाबार्ड झारखंड
अपने सम्बोधन में इस प्रकार के आयोजन के लक्ष्य को समझाया :
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Quote by Shri. Sharad
Jha, CGM, NABARD
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“झारखंड तथा सम्पूर्ण
भारत मे आदिवासी समुदाय अपने खेतों ,
वनो और प्रकृति से आंतरिक रूप से जुड़े हुए हैं।
यह इनके डीएनए (DNA) में विद्दमान है और हमे इसकी पुरजोर सराहना करने
के आवश्यकता है। उन्हे उनके खेतो ,
वनों और प्रकृति से अलग किए बिना,
उन्हे सतत आजीविका समाधान प्रदान की जा
सकती हैं । नाबार्ड का वाडी कार्यक्रम इस तरह के अत्यधिक सफल हस्तक्षेपों मे से
एक है।
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नाबार्ड ने झारखंड में
26000 एकड़ भूमि में 28000 वाडी (फल बागान) को शामिल करते हुए 41 परियोजनाओं का
समर्थन किया है। वाडी किसानों के अप्रयुक्त क्षेत्रों में इन फल के पोधों और आंतरिक अभ्यासों के माध्यम
से हमारे आदिवासी किसान रुपये 20,000
से 40,000
प्रति एकड़ /प्रति सत्र एक आश्वासित/पूरक
आय अर्जित कर सकते हैं जिससे उनकी वित्तीय सुरक्षा और जीवन स्तर मे काफी सुधार
आता है।
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“वाडी” नाबार्ड द्वारा
तैयार की गई एकीकृत आजीविका प्रारूप है
जिसको राज्य सरकार और Corporates
द्वारा अपनाया जाना चाहिए ताकि राज्य के आदिवासी जनसंख्या के बड़े भाग को इसमे
सम्मिलित किया जा सके। “
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