आतंक पीड़ित परिवार की मासूम बच्ची की उठाई
जिम्मेदारी
शहादत से पहले की पढ़ाई का खर्च उठाने की व्यवस्था
अभिमन्यु कोहाड़
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भारतीय सेना के शहीद कैप्टन विजयंत थापर एवं 6 वर्ष की कश्मीरी लड़की रुकसाना
नई दिल्ली। यह घटना है 1999 कि जब कैप्टन विजयंत थापर 22 वर्ष के थे एवं 2 राजपूताना राइफल्स में तैनात थे। उनकी
यूनिट के नजदीक 6 वर्षीया रुकसाना रहती थी जिनके पिता
की आतंकियों ने हत्या कर दी थी। एक दिन कैम्प से बाहर कैप्टन थापर ड्यूटी के दैरान
खाना खा रहे थे तो रुकसाना वहां आ के बैठ गयी, उसके
बाद कैप्टन थापर ने उसे भी खाना खिलाया और उस से पूछा कि तुम स्कूल क्यों नहीं
जाती हो? वहां आस-पास जांच करने पर पता चला कि
रुकसाना के परिवार के पास पैसे नहीं हैं और उस के पिता को आतंकियों ने मार दिया
है। कैप्टन थापर ने कहा कि रुकसाना की पढ़ाई का सारा खर्च वह खुद उठाएंगे।
इसके बाद कारगिल युद्ध शुरू हो गया। कैप्टन
थापर ने अपने पिता रिटायर्ड कर्नल वी एन थापर को चिट्ठी लिखी और कहा कि अगर युद्ध
में उसे कुछ हो जाता है तो आप स्वयं रुकसाना की पढ़ाई व उसकी देखरेख का खर्च
उठाएंगे। कारगिल युद्ध में कैप्टन थापर की यूनिट को तोलोलिंग हिल पर कब्ज़ा करने की
ज़िम्मेदारी दी गयी। अभियान के दौरान पहले लक्ष्य "बर्बाद बंकर" पर
कैप्टन थापर व उनकी टीम ने कब्ज़ा कर लिया, जब
उनकी यूनिट आगे बढ़ने लगी तो दुश्मन की एक गोली कैप्टन थापर के सिर में लगी और
कैप्टन थापर शहीद हो गए।
कैप्टन थापर को शहीद हुए 19 वर्ष हो चुके हैं, पिछले 19 वर्ष से लगातार कैप्टन थापर के पिता रिटायर्ड कर्नल वी एन थापर
रुकसाना की पढ़ाई व देखरेख का खर्च उठा रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले रुकसाना और उसके
चाचा नोएडा में रिटायर्ड कर्नल थापर के घर भी आये थे। हर वर्ष रिटायर्ड कर्नल थापर
कश्मीर जाते हैं और रुकसाना की पढ़ाई व देखरेख पर आने वाले सभी खर्च की पेमेंट करते
हैं। रुकसाना ने पिछले वर्ष 12वीं
कक्षा की पढ़ाई पूरी की है व अब कॉलेज में जा के आर्ट्स की पढ़ाई करना चाहती है।
ये हैं भारतीय सेना के महान संस्कार, "जान जाए लेकिन वचन न जाए"।
शहीद कैप्टन विजयंत थापर को श्रद्धांजलि व उनके
पिता कर्नल थापर को सलाम।

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