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सोमवार, 16 जुलाई 2018

राजभवन के समक्ष विपक्षी महागठबंधन ने दिया महाधरना


 * रघुवर सरकार को उखाड़ फेंकने का लिया संकल्प।
सुबोधकांत सहाय बोले, विकास के नाम पर विनाश कर रही सरकार

रांची। राज्य सरकार द्वारा पारित कराए गए बहुचर्चित भूमि अधिग्रहण संशोधन कानून के विरोध में तमाम विपक्षी दलों की ओर से सोमवार को राजभवन के समक्ष एकदिवसीय महाधरना का आयोजन किया गया। विपक्षी महागठबंधन में शामिल नेताओं ने रघुवर सरकार की नीतियों को असंवैधानिक करार देते हुए भूमि अधिग्रहण बिल वापस लेने की मांग दोहरायी। सभी विपक्षी नेताओं ने एक स्वर से बिल को आदिवासी विरोधी बताया। 
 इस अवसर पर कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने अपने संबोधन में कहा कि रघुवर सरकार द्वारा एक सोची-समझी साजिश के तहत जबरन पारित कराए गए भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल के कारण राज्य में अराजकता का माहौल उत्पन्न हो गया है। बेगुनाहों की हत्या की जा रही है, आदिवासियों को जमीन से बेदखल किया जा रहा है। गरीब लोगों की भूख से मौत हो रही है। वाह रे सरकार! विकास के नाम पर रघुवर सरकार विनाश कर रही है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा पर निशाना साधते हुए un कहा कि एक ओर राज्य मे जनता भूख से मर रही है। भोजन के अधिकार का कानून बेअसर हो रहा है, वहीं दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री अपराधियों को महिमामंडित करने में लगे हैं। इससे और भद्दा मजाक जनता के साथ और क्या होगा ? उन्होंने कहा कि जनहित में झारखंड की रघुवर सरकार को सत्ता से बेदखल करना जरूरी हो गया है। इसके लिए सभी विपक्षी दलों को एकजुट होकर रघुवर सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प लेने का उन्होंने आह्वान किया। श्री सहाय ने कहा कि सरकार पत्थलगड़ी के नेताओं और उग्रवादियों को समान मान कर कार्रवाई कर रही है । इससे ग्रामीण क्षेत्रों में दहशत का माहौल है। सरकार के इस रवैये से ग्रामीणों में आक्रोश है। 
 महाधरना में विपक्षी महागठबंधन के सभी दलों के नेता- कार्यकर्ता शामिल हुए।
महाधरना को पूर्व मुख्य मंत्री हेमंत सोरेन, झाविमो के प्रदेश महासचिव प्रदीप यादव, राजद अध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी, कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डा.अजय कुमार, पूर्व अध्यक्ष सुखदेव भगत सहित अन्य दलों के नेताओं ने भी संबोधित किया। मौके पर बंधु तिर्की, शमसेर आलम, डा.महुआ माजी, आभा सिन्हा, जोबा माझी, राजीव रंजन, राजेश यादव सहित काफी संख्या में वाम दलों के नेता व कार्यकर्ता मौजूद थे।

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