पुलिसिया कार्रवाई की उच्चस्तरीय जांच की मांग
रांची। सदर थानांतर्गत बड़गाईं बस्ती के ग्रामीणों में पुलिस की
कार्रवाई को लेकर रोष व्याप्त है। उनका कहना है कि बकरीद की कुर्बानी देने के क्रम
में सदर थाना प्रभारी कुछ युवकों को गलत आरोप लगाकर अपने साथ ले गए। ग्रामीणों के
मुताबिक 21 अगस्त को शांति समिति की बैठक में स्पष्ट कर दिया गया था कि बकरीद के
मौके पर तीन दिनों तक कुर्बानी की जाती है। 23 अगस्त को जब कुर्बानी की रस्म अदा
की जा रही थी तो थानेदार दल-बल समेत पहुंचे और प्रतिबंधित पशु की हत्या का आरोप
लगाकर कुछ लोगों को पकड़ ले गए। ग्रामीणों का कहना है कि वे किसी प्रतिबंधित पशु
की नहीं बल्कि बकरे की कुर्बानी दे रहे थे। बिना किसी जांच के सिर्फ संदेह अथवा
किसी की शिकायत के आधार पर त्योहार के मौके पर इस तरह की कार्रवाई करना अनुचित है।
शरारती तत्व नहीं चाहते कि कोई भी समुदाय अपना त्योहार शांतिपूर्ण तरीके से मना
सके। थानेदार को यदि किसी तरह की गलतफहमी थी तो कुर्बानी के मांस के नमूने की जांच
कराकर देख लेना चाहिए था कि वह किस पशु का है। निराधार आरोप लगाकर सीधे हिरासत में
लेना कहां का न्याय है। बड़गाईं बस्ती के करीब आधा दर्जन ग्रामीणों के हस्ताक्षर
के साथ प्रेस विज्ञप्ति जारी कर थानेदार पर सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने के
प्रयास का आरोप लगाते हुए मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की गई है।
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