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गुरुवार, 30 अगस्त 2018

एक्टिविस्टों की गिरफ्तारी के खिलाफ जन प्रतिवाद मार्च


झारखंड के मशहूर शख़्शियतो द्वारा
देश-झारखंड के मशहूर मानवधिकार-सामाजिक-बौद्धिक एक्टिविस्टों की गिरफ्तारी-सत्ता संरक्षित ज़ुल्म के ख़िलाफ़ झारखंड के राजनैतिक दलों-सामाजिक संगठनों-आंदोलनकारी-बुद्दिजीवियों-पत्रकारों द्वारा
रांची विश्वविद्यालय गेट से परमवीर अल्बर्ट एक्का चौक तक नागरिक मार्च कर मानव श्रंखला में तब्दील हो गया.
नागरिक प्रतिवाद में नारों-कविता भरी तख्तियों थी,जिसमें "भेड़िया गुर्राता है
तुम मशाल जलाओ
उसमें और तुममें
यही बुनियादी फ़र्क़ है"
-सर्वेश्वर दयाल सक्सेना,

"जब एक डरा हुआ बादल
न्याय की आवाज का गला घोंटता है
तब खून नहीं बहता
आंसू नहीं बहते
बल्कि रोशनी बिजली में बदल जाती है
और बारिश की बूंदें तूफान बन जाती हैं।
जब एक मां अपने आंसू पोछती है
तब जेल की सलाखों से दूर
एक कवि का उठता स्वर
सुनाई देता है"- वरवर राव

"तेरा निजाम है सिल दे जुबान शायर की,
ये एहतियात जरूरी है इस बहर के लिए"
-दुष्यंत कुमार

 "लोग कहते हैं कि ये बात नहीं कहने की.
तुमने कह दी है तो कहने की सजा लो यारों"
-दुष्यंत कुमार

"असहमति लोकतंत्र का सेफ़्टी वॉल्व है,यदि आप इन सेफ़्टी वॉल्व की इज़ाज़त नही देंगे,तो यह फट जाएगा"--सुप्रीमकोर्ट

"ज़ुल्मी जब-जब ज़ुल्म करेगा सत्ता के गलियारों से,चप्पा-चप्पा गूंज उठेगा इंक़लाब के नारों से"

देश-झारखंड के मशहूर सामाजिक-मानवाधिकार-बौद्धिक एक्टिविस्टों पर दमन लोकतंत्र के लिए घातक साबित होगा, असहमति लोकतंत्र का सुरक्षा कवच है, सामाजिक कार्यकर्ताओं पर दमन कर अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला किया जा रहा है,केंद्र सरकार पूरी तरह से तानाशाही पर उतर आई है जो सत्ता का दुरुपयोग कर रही है,भीमा केरेगांव की घटना कोई षडयंत्रकारी घटना नही थी बल्कि केंद्र सरकार द्वारा लिए गये गलत फैसले के खिलाफ जनविरोध था,इसे प्रधानमंत्री के खिलाफ षडयंत्र के रुप मे देखना या जोड़ना गलत है.

प्रतिवाद कार्यक्रम में राष्ट्रीय अवर्डेड फिल्ममेकर मेघनाथ एव बीजू टोप्पो,देशव्यापी एक्टिविस्ट ज्यां द्रेज,अवर्डेड फिल्ममेकर श्रीप्रकाश,साहित्यकार महादेव टोप्पो,वरिष्ठ पत्रकार श्रीनिवास,वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार विनोद कुमार,प्रोफेसर यूनियन के अध्यक्ष डॉ बब्बन चौबे,आदिवासी बुद्दिजीवी के अध्यक्ष प्रेमचंद मुर्मू,विस्थापन विरोधी आंदोलनकारी दयामनी बारला, झारखंड आंदोलनकारी बशीर अहमद,पूर्व डिप्टी मेयर रांची कांग्रेस नेता अजयनाथ शाहदेव,आदिवासी मूलवासी के आज़म अहमद,AIPF के नदीम खान,मजदूर नेता शुवेन्दु सेन,जगरनाथ उरांव,यूएमएफ़ के अफ़ज़ल अनीश,साईंस फोरम के समीर दास,लोकतंत्र बचाओ मंच के वरुण कुमार,भारत भूषण,मानवधिकार कार्यकर्ता अलोका कुजूर,जेरोम जोराल्ड कुजूर,फादर महेंद्र,सुनील मिंज,अजय कुंडुला,सेराज दत्ता,अंकित अग्रवाल,आकाश रंजन,सुशीला टोप्पो,दीपा मिंज,नरेश मुर्मू,राकेश रौशन, स्टीफन लकड़ा,रूपेश साहू,भाकपा माले के भुनेश्वर केवट,अमरजीतसिंह, सुनील जायसवाल, एतवारी साव,इबरार अहमद,मो तस्लीम,सुनीता,एलिसा, सिलेस्टिना, पूरन दास,राजेन्द्र पासवान,अमित पांडेय,सीपीआई के अधिवक्ता सचिदानंद मिश्रा,एसयूसीआई के मंटू पासवानअमर महतो,श्यामल मांझी,तुलसी,बिनोद लोहरा,मासस के सुशांतो मुखर्जी,आम आदमी पार्टी के राजेश कुमार,यास्मीन लाल,दानिश शेख़,अनिर्बान सरकार,मनोज बेदिया,सहजाद आलम,जाबिर हुसैन जेवीएम के अकबर कुरैशी,साजिद उमर,मो इरफ़ान,अल्तमस,रेहान समेत अन्य में मो सहजाद,मो अफ़ज़ल,छोटू,राजन,बिटटू, तासिफ,सैफ,मो साद,मो इमाम,शाहिद,हीरा,जमील,कैलाश,मनोज,गुड्डू,आदि उपस्थित थे..

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