रांची। पूर्व केन्द्रीय मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुबोधकांत सहाय ने कहा है कि देश के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के विरुद्ध कार्रवाई पूर्वाग्रह से ग्रसित है। भाजपा सरकार की नीतियों से असहमति जताने वालों को चिन्हित कर उन्हें बिना कोई ठोस सबूत के गिरफ्तार किया जाना मोदी सरकार की मंशा उजागर करता है। पेशे से वकील, लेखक, पत्रकार, कवि और मानवाधिकार कार्यकर्ता लंबे समय से समाज के वंचितों और शोषितों पर होने वाले अत्याचार के विरुद्ध मुखर होकर आवाज उठाते रहे हैं। मानवाधिकारों के हनन और जनविरोधी शासनतंत्र के खिलाफ आंदोलनरत रहे हैं। इनलोगों का देश के जागरूक व लोकतंत्र को पसंद करने वाले नागरिकों के बीच सम्मानजनक स्थान रहा है। ऐसे लोगों के विरुद्ध कार्रवाई किया जाना लोकतंत्र का गला घोंटने के समान है।
श्री सहाय ने कहा कि भाजपा को इन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई के पूर्व अपने गिरेबान में झांककर देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक सोची समझी साजिश और राजनीतिक षड़यंत्र के तहत फादर स्टेन स्वामी का नाम भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में घसीटा गया है। बिना जांच किए ही आरोप लगाया जा रहा है।फादर स्टेन स्वामी को प्रताड़ित किया जा रहा है। लोकतंत्र के हिमायती रहे लोगों को भाजपा झूठे आरोप लगाकर फंसाने की प्रवृत्ति छोड़े, अन्यथा व्यापक जनांदोलन का सामना करना पड़ेगा।
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