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शनिवार, 11 अगस्त 2018

नीरो की तरह बंसी बजा रहे हैं रांची के नगर आयुक्त




देवेंद्र गौतम

रांची। आलम यह है कि रांची शहर रोम की तरह जल रहा है और नगर आयुक्त नीरो की तरह बंसी बजा रहे हैं। उनकी बंसी की धुन से लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। शहर के तमाम जलाशयों में, गली-चौराहों में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। डेंगू और चिकनगुनिया का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। पिछले 10-12 दिनों के अंदर पीड़ित मरीजों की संख्या 300 से पार कर चुकी है। खून के नमूने एकत्र कर उनकी जांच का कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है। रोज नए-नए मरीजों की पहचान हो रही है। मरीजों का आकड़ा बढ़ता जा रहा है। महामारी से सर्वाधिक प्रभावित हिंदपीढ़ी के कई जियारिनों ने अपना हजयात्रा का कार्यक्रम स्थगित कर दिया है। शहर के निजी और सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड और दुकानों में दवा का अभाव हो गया है। मच्छरजनित रोगों के कारण महामारी फैलने की आशंका है लेकिन नगर निगम के आयुक्त को इससे कुछ भी लेना देना नहीं है। वे विभागीय उलटफेर की राजनीति कर नए सिरे से कार्य विभाजन कर विदेश यात्रा पर निकल गए हैं। जन-स्वास्थ्य के समक्ष इतनी गंभीर चुनौती के समय भी वे अपने चहेते अधिकारियों को उपकृत और अन्य को दंडित करने में लगे हैं। उन्होंने नगर स्वास्थ्य विभाग में कार्य विभाजन के जरिए सक्षम अधिकारियों के कार्यक्षेत्र में कटौती कर दी है और अनुभवहीन लोगों के कार्यक्षेत्र का विस्तार कर दिया है। इसी क्रम में नगर स्वास्थ्य अधिकारी किरन कुमारी के कार्य का जिम्मा सिटी मैनेजर को सौंप दिया है। उन्हें स्वच्छता अभियान चलाने का कोई अनुभव नहीं है। वे  सफाई अभियान चलाने में जी जान से लगे हैं लेकिन फिर भी यह प्रभावी ढंग से नहीं चल पा रहा है। उनका ध्यान सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में लगा है जबकि शहर के तमाम इलाके डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया के मच्छरों का प्रजनन स्थल बने हुए हैं। उनके पनपने का अनुकूल माहौल बना हुआ है। नगर आयुक्त के इस गैर-जिम्मेदाराना आचरण पर पूर्व मंत्री सुबोधकांत सहाय ने भी सख्त नाराजगी व्यक्त की है। किरन कुमारी का कार्य अनुभव और प्रदर्शन सराहनीय रहा है। उनके कार्यकाल में बेहतर स्वच्छता के लिए नगर निगम की सराहना हुई है और पुरस्कृत भी किया गया है लेकिन जब शहर को इस कार्य के लिए उनकी तरह के सक्षम अधिकारी की सख्त जरूरत है तो नगर आयुक्त कार्य विभाजन के जरिए अपने प्रशासनिक अधिकारों के प्रदर्शन में लगे हैं। सच यह है कि अगर मच्छरों को पनपने से नहीं रोका गया तो स्थिति नियंत्रण के बाहर हो सकती है।
झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री अपने वरीय अधिकारियों के साथ महामारी पर नियंत्रण में लगे हैं लेकिन नगर निगम का प्रदर्शन निराशाजनक है। नगर विकास मंत्रालय को अविलंब इस लालफीताशाही पर अंकुश लगाने की पहल करनी चाहिए और नगर आयुक्त से उनकी लापरवाही के लिए जवाब-तलब करना चाहिए।

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