नई दिल्ली। पीएम मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने शेल ऑयल/गैस, कोल बेड मीथेन इत्यादि जैसे गैर-पारंपरिक हाइड्रोकार्बन की खोज और दोहन के लिए नीति-रूपरेखा को मंजूरी दे दी है। मौजूदा रकबे में गैर-पारंपरिक हाइड्रोकार्बन की क्षमता का दोहन करने के संबंध में लाइसेंसधारी/पट्टाधारी मौजूदा ठेकेदारों को प्रोत्साहित करने के लिए वर्तमान उत्पादन साझेदारी संविदाओं, सीवीएम संविदाओं और नामित क्षेत्रों के तहत इसका अनुपालन किया जाएगा।
लाभ : · इस नीति से वर्तमान संविदा क्षेत्रों में संभावित हाइड्रोकार्बन भंडारों के उपयोग के लिए क्षमता बढ़ेगी, जो अब तक खोजे नहीं गये थे और जिनका दोहन नहीं हुआ था। · इस नीति के कार्यान्वयन से नयी हाइड्रोकार्बन खोजों के संबंध में अन्वेषण और उत्पादन गतिविधियों में नया निवेश तथा परिणामस्वरूप घरेलू उत्पादन में बढ़ोतरी की आशा की जाती है। · अतिरिक्त हाइड्रोकार्बन संसाधनों की खोज और दोहन से नये निवेश में तेजी आने, आर्थिक गतिविधियों में इजाफा होने, अतिरिक्त रोजगार सृजन होने की आशा है, जिससे समाज के विभिन्न वर्गों को लाभ होगा। · इससे नई, अभिनव और उत्कृष्ट प्रौद्योगिकी की संभावना बढ़ेगी तथा गैर-पारंपारिक हाइड्रोकार्बन के दोहन के लिए नये प्रौद्योगिकी सहयोग का रास्ता खुलेगा। पृष्ठभूमि : पीएससी के मौजूदा संविदा नियमों के अनुसार वर्तमान ठेकेदारों को पहले से लाइसेंस और पट्टे पर आवंटित क्षेत्रों में सीबीएम या गैर-पारंपरिक हाइड्रोकार्बन की खोज और दोहन की अनुमति नहीं है। इसी तरह सीबीएम को छोड़कर संबंधित ठेकेदारों को अन्य हाइड्रोकार्बन की खोज और दोहन की अनुमति नहीं है। पीएससी और सीबीएम ब्लॉकों में विभिन्न ठेकेदारों के अधीन इस समय जो रकबा मौजूद है तथा नामित व्यवस्था में राष्ट्रीय तेल कंपनियों का भारत के तलछट संबंधी बेसिन में एक बड़ा हिस्सा है। आरंभिक अध्ययन में विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों ने आकलन किया है कि पांच भारतीय तलछट बेसिनों में 100-200 टीसीएफ के दायरे में संभावित शेल गैस संसाधन मौजूद हैं। कैमबे, कृष्णा-गोदावरी, कावेरी इत्यादि जैसे बेसिनों में शेल ऑयल/गैस होने की मजबूत संभावना है, जहां जैविक संपदा से पूर्ण शेल मौजूद है। पीएसई की पूर्व-नव अन्वेषण लाइसेंस नीति (एनईएलपी)/एनईएलपी व्यवस्था के तहत 72,027 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र और सीबीएम संविदाओं के तहत 5269 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को पारंपरिक या गैर-पारंपरिक हाइड्रोकार्बन के दोहन और खोज के लिए खोल दिया गया है। इस नीति की मंजूरी के बाद ‘एकल हाइड्रोकार्बन संसाधन प्रकार’ के स्थान पर ‘समान लाइसेंसिंग नीति’ लागू हो जाएगी, जो हाइड्रोकार्बन अन्वेषण एवं लाइसेंसिंग नीति (एचईएलपी) तथा अन्वेषित लघु क्षेत्र (डीएसएफ) नीति में इस समय लागू है। पीएससी ब्लॉकों में नये हाइड्रोकार्बन अन्वेषण की लागत रिकवरी और पेट्रोलियम गतिविधियों के संचालन का दायरा तय करने के लिए नीतिगत वित्तीय तथा संविदा संबंधी शर्तों से सहायता होती है। सीबीएम संविदा मामले में पेट्रोलियम लाभ/उत्पादन स्तरीय भुगतान की अतिरिक्त 10 प्रतिशत दर तथा इसके विषय में मौजूदा दर से अधिक को सरकार के साथ नई खोजों के संबंध में साझा करना होगा। नामित ब्लॉकों के लिए अन्वेषण/पट्टा लाइसेंस की मौजूदा वित्तीय और संविदा शर्तों के तहत गैर-पारंपारिक हाइड्रोकार्बन की खोज एवं दोहन की अनुमति के लिए अनापत्ति प्रमाण-पत्र दिया जाएगा। |
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बुधवार, 1 अगस्त 2018
गैर-पारंपरिक हाइड्रोकार्बन की खोज और दोहन के लिए नीति-रूपरेखा को मंजूरी
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