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रविवार, 12 अगस्त 2018

मुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री का पुतलादहन

आप ने दी फैसला वापस नहीं लेने पर आंदोलन की दी चेतावनी

राची। झारखंड में रघुवर सरकार के द्वारा 5 हजार से अधिक प्राथमिक व माध्यमिक सरकारी स्कूलों को बंद करने के फैसले पर आम आदमी पार्टी ने रोष प्रकट किया है।आज दिनांक 12 फरवरी, 2018 को आम आदमी पार्टी के द्वारा सरकार के फैसले पर मुख्यमंत्री रघुवर दास एवं शिक्षामंत्री का पुतला दहन किया।
प्रदेश मीडिया सह प्रभारी राजेश कुमार ने कहा कि सरकार का यह फैसला असंवैधानिक एवं जनविरोधी है। सरकार का यह फैसला शिक्षा के अधिकार का हनन है।सरकार गरीबों एवं आदिवासयों को शिक्षा से वंचित करने कि साजिश कर रही है। इस अनैतिक फैसले के द्वारा रघुवर सरकार द्वारा शिक्षा का निजीकरण करके शिक्षा को गरीबों कि पहुँच से दूर करने की कोशिश की जा रही है।
सरकार के द्वारा अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए स्कूलों को बंद करने को लेकर जो तर्क दिया जा रहा है वह काफी बेहूदा है।झारखण्ड प्रदेश में भौगोलिक विभिन्नताओ के कारण एक गाँव से दूसरे गाँव में जाना भी काफी मुश्किल है,फिर ऐसी स्थिति में स्कूलों को बेहत्तर बनाने एवं शिक्षा व्यवस्था को मजबुत करने के स्थान पर अपने जिम्मेदारियों से भागने एवं निकम्मेपन को छिपाने के लिए ऐसे अतार्किक,अनैतिक एवं जनविरोधी फैसले ले रही है।दूर्भाग्यवश  आज रघुवर सरकार गरीबों को अनपढ़ बनाने एवं निरक्षर बनाये रखने के लिए गाँव एवं कस्बों को स्कूल विहीन करने का का प्रयास कर रही  है।
पुरे प्रदेश में स्कूलों एवं शिक्षा व्यवस्था का हाल पहले से हीं दयनीय है,आज लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों कि जगह निजी स्कूलों में पढ़ाना चाहते, किन्तु ग्रामिण क्षेत्रों में तो लोगों को खाने के भी लाले हैं ,बच्चों का निजी स्कूलों में पढ़ाना तो दूर की बात। ऐसे में सरकार का यह फैसला गरीबों एवं आदिवासियों के जख्म पर मिर्च रगड़ने के जैसा है। सरकार शिक्षा का निजीकरण कर अमीरों की दलाली कर रही है एवं गरीबों का शोषण कर रही है। गरीब एवं आदिवासी विरोधी इस सरकार का मूल मकसद गरीबों को अशिक्षित रखना है एवं उसका अपनी राजनीति के लिए प्रयोग करना है।
पिछले दिनों भाजपा के सांसदो ने भी सरकार से इस फैसले को वापस लेने कि माँग कि थी, लेकिन यह बहरी सरकार कुछ भी सुनने में असमर्थ है।
आम आदमी पार्टी सरकार से निम्नलिखित माँग करती है-
● 5 हजार से अधिक स्कूलों को बंद करने का फैसला अबिलंव वापस लिया जाये।
● दिल्ली सरकार के तर्ज पर सरकारी स्कूलों का विकास एवं स्कूलों को व्यवस्थित किया जाये।
●सरकार अपनी शिक्षा नीति को जनता के साथ साझा करे।
● जल्दी से जल्दी स्थायी शिक्षकों कि नियुकित कि जाये।
● दिल्ली सरकार के तर्ज पर अस्थायी शिक्षकों को वेतन दिया जाये।

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