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सोमवार, 13 अगस्त 2018

बुढ़ा बाबा स्थल का पुरातत्व-सर्वेक्षण ज़रूरी



कतरास के झींझीपहाड़ी गांव की रांची-दिल्ली में होगी दस्तक
ऐतिहासिक-पौराणिक तथ्य सामने आएंगे

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उत्तम मुखर्जी

'कतरी' और 'रास' के संयोजन से बना कतरास शहर। कोयले की खदानें, वन,पाथर, नदी...से घिरा क्षेत्र।कतरी जिसके रौद्र रूप से ग़ज़लीटांड़ खदान जैसी जलसमाधि हुई थी;आज सुखकर काठ हो गई।रासमचं भी अतीत की कहानी बन गया।कतरी के तट पर बसा झींझीपहाड़ी गांव।कोयले उगलनेवाली खदानों के बगल के गांव।इसी गांव में अलौकिक कहानियों से ओतप्रोत बुढ़ा बाबा स्थल खड़ा है।ऐतिहासिक पलों का साक्ष्य समेटे मॉडर्न टेक्नोलॉजी को चुनौती दे रहा यह मंदिर....जो सिर्फ आस्था व धर्म का केंद्र भर नहीं बल्कि शोध का एक सब्जेक्ट बनकर शोधार्थियों का आह्वान कर रहा है।
मध्यप्रदेश के रीवा से एक शिला प्रस्तर लेकर राजपरिवार निकला था।सूर्यवंशी राजा बाद में पालगंज होते हुए धनबाद जिले के तीन हिस्सों क्रमश: झरिया,कतरास, नावागढ़ में अपना राज कायम किया।कतरी के एक तट पर राजा का किला जो भग्नावशेष में तब्दील होता जा रहा है।कतरी के दूसरे तट पर झींझीपहाड़ी गांव और वहां विराजमान बुढ़ा बाबा की धरोहर।
कतरास राजपरिवार का इतिहास खंगालने पर पता चलता है कि मंगलगढ़ से कतरासगढ़ तक के सफर के पहले से यह धरोहर मौजूद है।जो शिला लेकर राजपरिवार चला था।वही शिला मां लिलोरी के रूप में स्थापित हुई।इतिहास बताता है कि उससे भी पहले बुढ़ा शिव यहां मौजूद थे।
जब आईआईटी जैसे संस्थान मुल्क में नहीं थे।जब सीमेंट नहीं था।जब क्रेन का आविष्कार नहीं हुआ था।तब कैसे पत्थरों को सलीके से खड़ा कर यह स्थल बना यह प्रश्न आज भी अनुत्तरित है।कई भूकम्प,बीसीसीएल की ब्लास्टिंग,आंधी-तूफान आये...गए।यह स्थल टस से मस नहीं हुआ।
बुढ़ा बाबा स्थल के पुरातात्विक सर्वेक्षण के लिए आवाज़ उठने लगी है।झारखण्ड के कला-संस्कृति मंत्री अमर बाउरी ने इस पर जांच शुरू कराई है।इस संबंध में एक कमिटी बनाकर ट्रेड यूनियन के नेता लखन महतो,युवा  आंदोलनकारी विशाल महतो के नेतृत्व में एक टीम ने अभियान शुरू किया है।सोमवार को लखन महतो एवं अन्य ने उपवास भी रखा।भारत कोकिंग कोल लिमिटेड की एक टीम ने भी सामाजिक दायित्व के निर्वहन के तहत सहयोग की बात कही है।
दरअसल कतरास के कांको मठ से लेकर नीलकंठवासिनी मंदिर,गौशाला, बुढ़ा बाबा मंदिर तक का इलाका वनपाथर से घिरा मनोरम स्थल है।राज्य सरकार इस इलाके को पर्यटन स्थल के रूप में तब्दील कर सकती है।एक तरफ कोयले की खदानें दूसरी ओर कांको से झींझीपहाड़ी तक अपार संभावनाएं।

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