केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया ने की समीक्षा बैठक
राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा, जल संसाधन मंत्री रामचंद्र सहिस समेत कई वरीय़ अधिकारी रहे मौजूद
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★ जल शक्ति अभियान को बनाएं जन आंदोलन, पानी के किफायती इस्तेमाल पर हो फोकस
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★ राज्य सरकार जल संरक्षण और संचयन के लिए योजनाओं का पुख़्ता और सम्पूर्ण प्रपोजल भेजे, केंद्र सरकार उसे स्पांसर करेगी
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रांची। जल की एक-एक बूंद जीवनदायनी है. पानी की बर्बादी नहीं हो, यह केंद्र सरकार की विशेष प्राथमिकता है. बारिश के पानी के संचयन व संवर्द्धन के लिए कई योजनाएं शुरू की गई है. हर हाल में भूगर्भ जलस्तर बढ़ाना है ताकि आने वाली पीढ़ी को जल संकट का सामना नहीं करना पड़े. केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया ने आज होटल रैडिशन ब्लू में जल शक्ति मंत्रालय की समीक्षात्मक बैठक में ये बातें कही. उन्होंने झारखंड सरकार को आश्वासन दिया कि जल संरक्षण और संचयन के लिए योजनाओं का कंक्रीट और कंप्लीट प्रपोजल भेजें, केंद्र उसे स्पांसर करेगी. इस बैठक में श्री शेखावत ने राज्य में चल रही जल संचयन और बारिश के पानी की बर्बादी को रोकने के लिए चलाए जा रहे योजनाओं के प्रगति की जानकारी ली.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता जल संचयन -- योजनाएं समय पर करें पूरा
श्री शेखावत ने कहा कि जल शक्ति की योजनाएं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता में है, इनके क्रियान्वयन में कोई कमी नहीं रह जाए. समय पर इन योजनाओं को पूरा करें, विलम्ब होने से योजना की लागत बढ़ती है और लोगों के उसका लाभ भी नहीं मिल पाता है. अगर केंद्र से मदद की जरूरत पड़ेगी तो उसके लिए मंत्रालय पूरी तरह तैयार है.
योजनाओं की यूटिलिटी होनी चाहिए, समय-समय पर थर्ड पार्टी असेसमेंट कराएं
श्री शेखावत ने कहा कि जल संरक्षण औऱ संचयन के लिए जो भी योजनाएं बनाई जाए, उसकी पूरी यूटिलिटी होनी चाहिए. यह बेहतर होगा कि इन योजनाओं का समय-समय पर थर्ड पार्टी असेसमेंट कराएं. उन्होंने यह भी कहा कि जल संचयन की योजनाओं को शुरु करने के पूर्व इससे संबंधित विभागों में समन्वय स्थापित किया जाए, ताकि इसे बेहतर तरीके से लागू करने में मदद मिल सके. उन्होंने जल संरक्षण को लेकर बड़ी योजनाओं की बजाय छोटी-छोटी योजनाओं के क्रियान्वयन पर जोर दिया.
लंबित परियोजनाओं की ली जानकारी, पूरा करने पर दिया जोर
श्री शेखावत ने समीक्षा बैठक में राज्य में जल संसाधन और पेयजल से जुड़े लंबित योजनाओं की जानकारी ली. उन्होंने कहा कि इन योजनाओं को पूरा करने के लिए जो भी मदद की जरूरत पड़ेगी सरकार उसे हरसंभव पूरा करेगी, बर्शते इन योजनाओं का लाभ लोगों तक सुनिश्चित किया जा सके. इस मौके पर राज्य सरकार की ओर से सुवर्णरेखा परियोजना, उत्तर कोयल नदी परियोजना, बुढ़ई परियोजना, कोनार नहर परियोजना, कनहर सिंचाई परियोजना, कनहर पाइप लाइन परियोजना के चल रहे कार्यों से जल शक्ति मंत्रालय को अवगत कराया गया और इन योजनाओं को पूर्ण करने में केंद्र से मदद की भी मांग की गई.
झारखंड के लिए काफी उपयोगी है जल शक्ति अभियान
झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री श्री नीलकंठ सिंह मुंठा ने कहा कि झारखंड राज्य के लिए केंद्र की जल शक्ति अभियान काफी उपयोगी और सार्थक है. झारखंड में औसतन 1200 मिलीमीटर बारिश होती है,लेकिन पठारी इलाका होने की वजह से ज्यादातर बारिश का पानी बहकर बर्बाद हो जाता है पर इस अभियान के तहत चल रही विभिन्न योजनाओं से बारिश के पानी का काफी हद तक संचयन किया जा सकता है. उन्होंने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री को बताया कि केंद्र ने दो जिलों में इस अभियान को शुरु करने की स्वीकृति दी थी, पर राज्य सरकार ने सभी 24 जिलों के 263 प्रखंडों के हर गांव में इस अभियान को चला रही है.
मसानजोर डैम पर झारखंड का अधिकार हो
राज्य के जल संसाधन और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री श्री रामचंद्र सहिस ने इस मौके पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री को एक मेमोरेंडम सौंपा. इसमें उन्होंने कहा है कि मसानजोर डैम झारखंड की जमीन पर है, लेकिन इसपर पश्चिम बंगाल सरकार का अधिकार है और इसका लाभ भी झारखंड को नहीं मिल रहा है. उन्होंने मसानजोर डैम को झारखंड के अधिकार क्षेत्र में देने का आग्रह किया.
महाअभियान बन रहा है जल शक्ति अभियान, मुख्यमंत्री, मंत्रीगण व अफसर कर रहें हैं श्रमदान
मुख्य सचिव डॉ डीके तिवारी ने समीक्षा बैठक में जल संवर्ध्धन और जल संचयन के लिए राज्य में चल रही योजनाओं से केंद्रीय जल शक्ति मंत्री को अवगत कराया. उन्होंने कहा राज्य में 1 जुलाई से 15 सितंबर तक जल शक्ति अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें बढ़-चढ़कर जनभागीदारी देखने को मिल रही है. इसके तहत हर रविवार को मुख्यमंत्री, मंत्रीगण और अधिकारी श्रमदान करते हैं. इसमें स्कूल, कॉलेज, स्वंयसेवी अन्य़ संगठनों के साथ आमलोगों की भी खूब भागीदारी देने को मिल रही है. कुल मिलाकर यह महाअभियान का रूप धारण करता जा रहा है. मुख्य सचिव ने कहा कि जल शक्ति अभियान के अंतर्गत सभी पंचायतों में पानी के रिचार्ज को लेकर ट्रेंच सह बंड का काम बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. इसके अलावा नदियों के किनारे वृहत पैमाने पर वृक्षारोपण किया जा रहा है. राज्य की छोटी-बड़ी 44 नदियों के किनारे 1366 किलोमीटर के दायरे में वृक्षारोपण का काम हो चुका है, जबकि इस साल 274 किमी और 2020 में 305 किलोमीटर क्षेत्र में वृक्षारोपण करने का लक्ष्य है. इसके साथ पूरे राज्य में 1.7 करोड़ पौधे लगाए गए हैं और 820 चैकडैम और 13375 रीचार्ज पीट बनाए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के बेहतर क्रियान्वयन पर भी सरकार का पूरा जोर है. सरकारी भवनों, स्कूलों और व्यापारिक भवनों, अपार्टमेंट आदि में इसे लगाया जा रहा है. इसके अलावा विभिन्न विभागों की कई योजनाओं के अंतर्गत भी जल संचयन से संबंधित कार्य किए जा रहे हैं. इस मौके पर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, जल संसाधन विभाग और नगर विकास विभाग की ओर से भी पेयजल, सिंचाई, व अन्य जल से जुड़ी परियोजनाओं की जानकारी केंद्रीय जल शक्ति मंत्री को दी गई.
समीक्षा बैठक में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के सचिव यूपी सिंह, एडिशनल सचिव अरुण बरोका, कमिश्नर के बोहरा के साथ झारखंड के जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ सुनील कुमार वर्णवाल, ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव अविनाश कुमार, नगर विकास एवं आवास विभाग के सचिव अजय कुमार सिंह, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की सचिव आराधना पटनायक और मनरेगा आय़ुक्त समेत कई वरीय अधिकारी मौजूद थे.