रांची। मिथिलेश अकेला की कहानी संग्रह उल्टी उड़ान का लोकार्पण प्रेस क्लब में विद्याभूषण,प्रमोद कुमार झा,पंकज मित्र,कुमार बृजेन्द्र,राजश्री जयंती आदि द्वारा किया गया.
सभागार में बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित थे.
लोकार्पण समारोह में बोलते हुए कथाकार पंकज मित्रने शिल्प और कथ्य की व्याख्या करते हुए कहा कि शिल्प की तिगड़मों के कारण कहानी कभी कभी अबूझ बन जाती हैं,पढ़ने वाला ऊब जाता है लेकिन अकेला जी की कहानियों में ऐसी बात नहीं है.इनकी कहानी स्पष्ट,सादा एवं दिल को छू लेनी वाली होती हैं.सामाजिक परिवेश को दर्शाती है.इनकी कहानियों में लोक तत्व भी है जो कहानी को आकर्षक,रोचक एवं पठनीय बनाती है
पीके झा पूर्व दूरदर्शन निदेशक ने कहा कि समय को जानना है तो रचनाकार को जानिये.इनकी कहानी समय एवं परिवेश और समाज की पहचान कराती है
अध्यक्षता करते हुए विद्याभूषण ने कहा कि किस्सा गोई एक बड़ा फन है जिसे ये फन आ गया,वो अच्छा कहानीकार बन सकता है और अकेला जी को कहानी कहने का फन आता है.इनकी कहानियां सामाजिक परिवेश के ताना बाना इसतरह बुनती हैं कि पाठक इसकी गिरफ्त में आ जाता है
एमज़ेड खान ने उल्टी उड़ान पर अपनी बात रखते हुए कहा कि अकेला जी की कहानियां बनते बिगड़ते रिश्ते की टूटन का एहसास कराती है
नरेंद्र झा ने कहानी के शिल्प और कथ्य के महत्व पर प्रकाश डाला और संग्रह को पठनीय एवं रोचक बताया
राजश्रीजयन्ती ने भी सम्बोधित किया
अंत मे अकेला जी ने संग्रह की 13 कहानियों में 6 कहानियों की चर्चा की.
उल्टी उड़ान कहानी जो आत्मीय रिश्ते में टूटने बिखरने की त्रासदी को उकेरती है,को अपनी बेहतरीन कहानी बताया
कुमार बृजेन्द्र ने संचालन करते हुए अकेला जी के साहित्यिक यात्रा का वर्णन किया और इसे साहित्य जगत के लिए एक उपलब्धि बताया
डॉ शैल बाला पूर्व प्राचार्य चाईबासा ने धन्यवाद ज्ञापित किया
मुख्य उपस्थिति एमएम शर्मा,इस सहाय,इज़हार अहमद,सुधांशु,अमर कुमार,कुंदन सिंह,डॉ शैल बाला दास, मंजू सहाय,गुफरान अशरफी,खालिक परदेसी,हिमालय झा,कृतिक वर्मा आदि

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