रांची।
झारखंड के डीजीपी डीके पांडेय ने 2018 के अंत तक राज्य को साइबर अपराध से मुक्त
बनाने का संकल्प ले चुके हैं। इस दिशा में कारगर रणनीति के आधार पर काम भी हो रहा
है। सीसीए और गुंडा एक्ट के प्रयोग के साथ साइबर थानों का विस्तार भी किया जा रहा
है। उनके जज़्बे को सलाम। लेकिन इसमें पूर्ण सफलता के लिए प्रशासनिक पहलकदमी के
साथ जन जागरुकता भी जरूरी है। आमलोगों के बीच साइबर अपराधियों की कार्यशैली की
जानकारी और अज्ञात नंबरों से आए फोन को रिसीव करने में सावधानी के प्रति भी सचेष्ट
करने की जरूरत है। यह काम सिर्फ सरकार या प्रशासन का नहीं समाज के जागरुक लोगों का
भी है। डीजीपी ने जन जागरुकता अभियान की क्या योजना बनाई है इसकी जानकारी नहीं है
लेकिन झारखंड को देश और दुनिया के बीच बदनाम करने वाले हाइटेक अपराधियों के खिलाफ
हर मोर्चे को खोला जाना चाहिए। वे जिस भी बिल में छुपे हों उन्हें बाहर निकाल लाने
की जरूरत है।
झारखंड के डीजीपी डीके पांडे |
पिछली
कई शताब्दियों से नाइजेरिया को साइबर अपराध का गढ़ माना जाता था। भारत में इसका
प्रचलन हाल के वर्षों में बढ़ा है और झारखंड के दुमका जिले के जामताड़ा अनुमंडल का
एक छोटा सा आदिवासी बहुल गांव इसका गढ़ बन गया है। अपराध की नई शाखा होने के कारण
ही भारतीय दंड संहिता में इसके लिए कड़े प्रावधान नहीं बन पाए हैं। वर्ना राजकुमार
मंडल जैसे कुख्यात साइबर सरगना जिसे 26 राज्यों की पुलिस तलाश कर रही थी, जामताड़ा
कोर्ट से मात्र डेढ़ साल की सजा पाता और जमानत पर रिहा कैसे हो सकता था। केंद्र और
राज्य सरकारों को साइबर अपराधियों की नकेल कसने के लिए इंडियन पेनल कोड में संशोधन
करना चाहिए।
हाल में कौन बनेगा करोड़पति का फर्जी सर्टिफिकेट
जारी कर जामताड़ा में जिस तरह एक महिला के जेवर बिकवाकर 24 हजार की ठगी की गई उससे
स्पष्ट है कि साइबर अपराधी रोज नए-नए तरीके ईजाद कर लोगों को झांसे में ले रहे
हैं। पुलिस डाल-डाल ढूंढ रही है तो वे पात-पात चलने की कोशिश कर रहे हैं। जामताड़ा
का साइबर अपराधियों का सरगना दिल्ली पुलिस की हिरासत में है लेकिन उसके गुर्गे
पूरी तरह सक्रिय होकर पुलिस-प्रशासन को चुनौती देते हुए भोले-भाले लोगों की मेहनत
की कमाई पर डाका डाल रहे हैं। अभी मेरे एयरटेल नंबर पर एक फोन आया। बताया गया कि
एसबीआई के हेड आफिस से बोल रहे हैं और मेरा एटीएम बंद होने वाला है उसे बंद होने
देना है या चालू रहने देना है। उन्होंने कहा कि बैंक खाते का डिटेल नहीं मांगता
लेकिन एटीएम की वैलेडिटी का डेट बतला दें। जब मैंने पूछा कि अभी आप कहां हैं तो
बतलाया हटिया में। मैंने पूछा कि एसबीआई का हेडआफिस हटिया कब से चला गया तो कहने
लगे कि वे सिर्फ एटीएम डील करते हैं। उन्होंने कहा कि अपने बैंक ब्रांच में जाएंगे
तो पैसे कट जाएंगे। फोन करने वाले को यह पता नहीं था कि उन्होंने मेरे जिस नंबर पर
पोन किया है वह मेरे एकाउंट से जुड़ा हा नहीं है। बाद में मेरे पास एक एसएमएस आया
कि मेरे एकाउंट से 6200 रुपये काट लिए गए हैं। यह मैसेज एक मोबाइल नंबर से आया था।
किस एकाउंट से काटे गए हैं इसका हवाला नहीं दिया गया था। कहने का मतलब है कि इस
तरह की झांसापट्टी देकर लोगों को शिकार बनाने का प्रयास किया जा रहा है। अगर लोग
चौकस न रहें तो वे किसी के भी खाते में सेंध लगा सकते हैं। मोदी सरकार ने सारे
बैंक खातों को मोबाइल और आधार कार्ड से जुड़वाकर खातेदारों के संकट को और बढ़ा
दिया है साथ ही साइबर अपराधियों का रास्ता आसान कर दिया है। सरकार लाख आधार कार्ड
की सूचनाओं को सुरक्षित बताए लेकिन आंकड़े बताते हैं कि नोटबंदी और सके बाद किए गए
आर्थिक प्रयोगों के बाद साइबर अपराधों में बेतहाशा तेजी आई है। सरकारें आता-जाती
रहती हैं लेकिन पुलिस प्रशासन को अपने समक्ष पेश आने वाली चुनौतियों का निरंतर
सामना करते रहना होता है। डीजीपी के संकल्प को पूरा करने के लिए जागरुक लोगों को
पूरा सहयोग करना चाहिए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें